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बीए सेमेस्टर-3 अर्थशास्त्र

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2022
पृष्ठ :171
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2640
आईएसबीएन :000000000

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बीए सेमेस्टर-3 अर्थशास्त्र : सरल प्रश्नोत्तर

प्रश्न- नरौजी के प्रमुख आर्थिक सिद्धान्तों की विवेचना कीजिए।

उत्तर-

दादाभाई नरौजी के प्रमुख आर्थिक सिद्धान्त निम्नलिखित थे -

1. निर्धनता की समस्या (The Problem of Poverty) - नरौजी के अनुसार भारत की मुख्य समस्या भारत की निर्धनता थी। विभिन्न बातों से भली-भांति यह सिद्ध हो जाता है कि देश की निम्न आर्थिक आय, निम्न निर्यात-आयात, निम्न, जीवन स्तर सरकार की निम्न आय, ऊँची मृत्यु-दर और निरन्तर उत्पन्न होने वाले अकाल। उनके अनुसार भारत की निर्धनता का प्रमुख कारण ब्रिटिश साम्राज्य था। उन्होंने हिसाब लगाया था कि ब्रिटिश इण्डिया की कुल प्रति व्यक्ति आय 20 रुपये प्रतिवर्ष थी और सम्पूर्ण देश में प्रति व्यक्ति जीवन निर्वाह लागत 34 रुपये थी। उन्होंने आवश्यक आँकड़े एकत्र किये और उनके आधार पर लिखा कि, "ऐसे भोजन और कपड़े के लिए भी जो कैदी को दिया जाता है, एक अच्छे मौसम में पर्याप्त उत्पादन नहीं हो पाता, थोड़ा-सा विलास और सभी सामाजिक एवं धार्मिक आवश्कताओं तथा बुरे समय के लिए व्यवस्था करने का तो प्रश्न ही नहीं उठता..... भारतीय जनता की ऐसी स्थिति है। उनको जीवन की न्यूनतम आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए भी प्राप्त नहीं होता।" उनके विचार में भारत की निर्धनता इसी कारण थी कि उसका पिछला धन नष्ट हो चुका था और यूरोपीय सेवाओं तथा राष्ट्रीय ऋण पर भी अधिक खर्च किया जा चुका था। उनके अनुसार यह एक ऐसी नाली थी जो भारतीय अर्थव्यवस्था को खाली कर रही थी। नरौजी ने बताया कि जो भी युद्ध अंग्रेजों ने 1850 के बाद भारत की भौगोलिक सीमा के बाहर लड़ा, उसका मुख्य उद्देश्य ब्रिटेन के हितों को सुरक्षित रखना था। इसलिए भारत में ब्रिटिश फौज तथा अन्य सेवाओं पर जो व्यय जाता है, उसमें ब्रिटेन को अपना उपयुक्त हिस्सा देना चाहिए। भारत में रेल की स्थापना का उदाहरण लेते हुए उन्होंने बताया कि जब इंग्लैण्ड में रेलमार्ग स्थापित किये गये थे तो उनसे प्राप्त सम्पूर्ण आय ब्रिटिश खजानों में जमा होती थी। रेलों के संचालन के लिए जो कर्मचारी नियुक्त किये गये थे वे अंग्रेज थे और इस प्रकार रेलों पर किया गया व्यय ब्रिटिश जनता को ही वापस मिल जाता था, किन्तु भारत में स्थिति बिल्कुल उल्टी थी। भारतीय रेलों के स्थापना के सम्बन्ध में जो उच्च अधिकारी नियुक्त किये गये, वे इंग्लैण्ड में रहते थे और उनका सारा खर्चा भारतीय रुपये से पूरा किया जाता था। इसके अतिरिक्त अन्य कर्मचारियों के वेतनों तथा भत्तों का भुगतान भी भारतीय रुपये में से किया जाता था। केवल थोड़े से भारतीय ही निम्न पदों पर नियुक्त किये गये थे। इस प्रकार रेलों से भारत को बहुत कम लाभ प्राप्त हुआ जबकि विदेशी ऋणों का सम्पूर्ण भार भारत को सहन करना पड़ा।

2. निष्कासन सिद्धान्त (The Drain Theory) - नरौजी का मानना था कि भारत में ब्रिटिश शासन प्रणाली भारतीयों के लिए विनाशकारी तथा ब्रिटेन के लिए हितकारी था। इसी को 'निष्कासन सिद्धान्त' कहते हैं। इस सिद्धान्त का मुख्य सार यह है कि भारतीय जनता की निर्धनता मुख्यतः ब्रिटिश साम्राज्य के कारण है क्योंकि व्यक्तियों पर भारी कर लगा दिये गये। यदि करों से प्राप्त होने वाली आय को उसी देश में खर्च कर दिया जाय जिसमें वह एकत्र की गयी है तो धन उसी देश के व्यक्तियों के हाथों में घूमता रहता है, आर्थिक क्रियाओं को बढ़ावा मिलता है और व्यक्तियों की सम्पन्नता में वृद्धि होती है। यदि यह आय किसी अन्य देश को भेज दी जाये तो वह उस देश के लिए सदैव ही नष्ट हो जाता है जिसमें इसको एकत्र किया गया था। इससे करदाता देश में उद्योग तथा व्यापार भी प्रोत्साहित नहीं होते। उनका अनुमान था कि वर्ष 1900 ई० तक 200 लाख पाउण्ड से अधिक धन भारत से बाहर जा चुका था। परिणामतः देश में पूँजी का निर्माण नहीं हो सका था। यही नहीं, उस पूँजी को वापस लाकर अंग्रेजों ने महत्त्वपूर्ण उद्योगों तथा सम्पूर्ण व्यापार पर एकाधिकार प्राप्त कर लिया था। इसलिए नरौजी का विचार था कि यदि देश का सम्पूर्ण उत्पादन देश में नहीं, लगाया जाता तो पुनरुत्पादन कठिन हो जायेगा और उत्पादन की प्रचलित दर पर वार्षिक उत्पादन में से कुछ-न-कुछ अवश्य ही कम होता चला जायेगा। यह एक प्रकार से दोधारी तलवार के समान थी अर्थात् एक ओर तो पूँजी का ह्रास होता चला जाता था तो दूसरी ओर उत्पादन की दर कम होती जाती है। ऐसा प्रतीत होता है कि नरौजी विदेशी पूँजी के उपयोग के विरुद्ध थे; किन्तु यह सत्य नहीं है। वे विदेशी पूँजी का उपयोग कुछ सीमाओं के अन्तर्गत करना चाहते थे। उन्होंने बताया कि अन्य देशों में अंग्रेज पूँजीपतियों ने केवल अपना धन ही उधार दिया है। ऋणी देश के निवासियों ने उस पूँजी का उपयोग किया और उससे लाभ प्राप्त किये और पूँजीपतियों को लाभ अथवा ब्याज का भुगतान किया जबकि भारत की स्थिति बिल्कुल भिन्न थी। अंग्रेज पूँजीपतियों ने केवल धन ही उधार नहीं दिया बल्कि पूँजी के साथ-साथ देश पर आक्रमण भी किया।

3. ब्रिटिश शासन व्यवस्था की आलोचना - नरौजी ने ब्रिटिश शासन व्यवस्था की कटु आलोचना की। ब्रिटिश संसद में अपने भाषणों द्वारा उन्होंने ईस्ट इण्डिया कम्पनी के शासन व्यवस्था के दोषों पर प्रकाश डाला और बताया कि कम्पनी देश के अन्दर व्यापार को नष्ट कर रही है। इसके अतिरिक्त अंग्रेज देश के विभिन्न मामलों की व्यवस्था अंग्रेज कर्मचारियों द्वारा कर रहे और भारतीयों को उचित स्थान नहीं दिया जा रहा था। नरौजी ने स्पष्ट शब्दों में बताया कि ब्रिटिश शासन संकट की कटुता को तीव्र कर रहा था। उसके अनुसार भारत के शरीर पर पिछले आक्रमणकारियों ने जो घाव लगाये थे वे ब्रिटिश शासन व्यवस्था से और भी गहरे हो गये थे। उन्होंने बताया कि अंग्रेजों का यह दावा कि भारत ने उसके शासन काल में उन्नति की थी। उचित नहीं था। इसी प्रकार उन्होंने कहा कि यह समझना कि भारत की निर्धनता प्रकृति के प्रकोप के कारण थी, गलत था। वास्तव में, यदि प्रकृति के नियम संचालित होते तो भारत दूसरों इंग्लैण्ड बन गया होता। इस निर्धनता की समस्या को सुलझाने के लिए नरौजी ने निम्न सुझाव दिये थे :

1. भारत और इंग्लैण्ड को अपने-अपने देशों में काम करने वाले देशवासियों के वेतनों का भुगतान करना चाहिए। जो अंग्रेज भारत में नौकर हैं और जो भारतीय इंग्लैण्ड में नौकर हैं, उनके सम्बन्ध में दोनों देशों के बीच उचित अनुपात निर्धारित होना चाहिए।

2. चूँकि अंग्रेजों को अच्छे वेतन दिये जा रहे थे, इसलिए उनको पेंशन नहीं मिलना चाहिए। 3. चूँकि कोई भी देश भारत पर समुद्र से आक्रमण नहीं कर सकता इसलिए भारत को इण्डियन नेवी पर किये गये व्यय में कोई योगदान नहीं देना चाहिए।

4. भारत की राष्ट्रीय आय (National Income of India) - नरौजी पहले भारतीय थे जिन्होंने भारत की राष्ट्रीय आय की गणना की और उसमें विभिन्न समूहों हिस्सों को निर्धारित किया। उन दिनों राष्ट्रीय आय सम्बन्ध आँकड़े अपूर्ण थे। उन्होंने कहा कि ब्रिटिश इण्डिया से सम्बन्धित प्रति व्यक्ति आय सम्बन्धी अनुमान प्रत्येक वर्ष प्रकाशित होने चाहिए। उनके अनुसार सही स्थिति वह होती जब कुल वास्तविक वार्षिक आय प्रति व्यक्ति आय और अच्छे प्रकार से काम करने की स्थिति में रहने के लिए श्रमिकों की आवश्यकताओं की वास्तविक गणना की जाती। औपचारिक आँकड़ो के अनुसार उन्होंने 1867-70 के वर्षों में बम्बई में प्रेसीडेंसी में प्रति व्यक्ति आय को 20 रुपये बताया था। उन्होंने यह भी बताया कि साधारण भारतीयों की न्यूनतम आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए 34 रुपये की आवश्यकता था। इन आँकड़ों के आधार पर उन्होंने यह सिद्ध किया कि धनी तथा मध्यम वर्ग को राष्ट्रीय आय का बहुत बड़ा भाग प्राप्त हो रहा था और निर्धन जनता को आधारभूत आवश्यकताओं की पूर्ति भर के लिए भी पर्याप्त आय प्राप्त नहीं हो रहा थी। अपनी गणना में नरौजी ने कृषि उत्पादन तथा उद्योगों के उत्पादन के मूल्य को सभी व्यक्तियों में बराबर-बराबर अनुपात में विभाजित किया और इस बात की ओर कोई ध्यान नहीं दिया कि कृषि उद्योगों तथा अन्य व्यवसायों में जो व्यक्ति काम कर रहे थे उनकी वास्तविक संख्या भिन्न-भिन्न थी। नरौजी ने देश के कुल उत्पादन की गणना में सेवाओं के मूल्य को सम्मिलित नहीं किया। डॉ राव ने नरौजी की इस विधि की आलोचना की है। नरौजी का विश्वास था कि किसी भी देश का आर्थिक विकास उत्पत्ति के साधनों पर निर्भर है, अतः राष्ट्रीय आय बढ़ाना आवश्यक है। उनके अनुसार राष्ट्रीय आय की गणना करते समय तीन बातों को ध्यान में रखना चाहिए। प्रथम, भारत की कुल वास्तविक भौतिक वार्षिक आय कितनी है, दूसरे, सभी प्रकार के व्यक्तियों की न्यूनतम आवश्यकताएँ और साधारण आवश्यकताएँ क्या हैं, और तीसरे, भारत की आय इन आवश्यकताओं के बराबर है या उससे कम अथवा अधिक है।

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    अनुक्रम

  1. प्रश्न- भारत के प्राचीनकालीन आर्थिक विचारधारा के प्रमुख स्रोतों का उल्लेख कीजिए।
  2. प्रश्न- कौटिल्य रचित 'अर्थशास्त्र' में 'कल्याणकारी राज्य' की परिकल्पना को स्पष्ट कीजिए।
  3. प्रश्न- कौटिल्य की पुस्तक 'अर्थशास्त्र' में उल्लेखित विषयों की व्याख्या कीजिए।
  4. प्रश्न- प्राचीन भारतीय आर्थिक विचारधारा की मुख्य विशेषताएँ क्या थीं?
  5. प्रश्न- अर्थशास्त्र में उल्लिखित 'कृषि तथा पशुपालन' विषय पर टिप्पणी लिखिए।
  6. प्रश्न- कौटिल्य के राजस्व के संबंध में विचारों पर प्रकाश डालिए।
  7. प्रश्न- कौटिल्य के सार्वजनिक वित्त संबंधी विचारों पर प्रकाश डालिए।
  8. प्रश्न- कौटिल्य के कल्याणकारी राज्य की अवधारणा पर प्रकाश डालिए।
  9. प्रश्न- कौटिल्य के अनुसार, करारोपण राज्य के लिए क्यों आवश्यक है?
  10. प्रश्न- भारत में 19वीं शताब्दी में आर्थिक विचारधारा का विकास किन बातों से प्रभावित हुआ?
  11. प्रश्न- नरौजी के प्रमुख आर्थिक सिद्धान्तों की विवेचना कीजिए।
  12. प्रश्न- दादा भाई नौरोजी के निर्धनता सम्बन्धी विचार को समझाइये |
  13. प्रश्न- 'निष्कासन सिद्धान्त (The Drain Theory)' पर टिप्पणी कीजिए।
  14. प्रश्न- रोमेश चन्द्र दत्त का सामान्य परिचय दीजिए।
  15. प्रश्न- रोमेश चन्द्र दत्त के कृषि सम्बन्धी विचारों का वर्णन कीजिए।
  16. प्रश्न- "भारत की निर्धनता का कारण ब्रिटिश सरकार की शोषण नीति है।" रोमेश दत्त के इस कथन का विश्लेषण कीजिए।
  17. प्रश्न- "लगान की ऊँची दर भारतीय कृषि की दुर्दशा का एक प्रमुख कारण है।" स्पष्ट कीजिए।
  18. प्रश्न- रोमेश दत्त के आर्थिक विचारों का वर्णन कीजिए।
  19. प्रश्न- डॉ. भीमराव रामजी अम्बेडकर के आर्थिक विचारों की व्याख्या कीजिए।
  20. प्रश्न- डॉ. राम मनोहर लोहिया के प्रमुख आर्थिक विचारों की व्याख्या कीजिए।
  21. प्रश्न- गाँधी जी के 'समाजवाद' दर्शन का वर्णन कीजिए।
  22. प्रश्न- गाँधीजी और नेहरू जी के आर्थिक विचारों की तुलना कीजिए।
  23. प्रश्न- गाँधीवाद तथा साम्यवाद में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
  24. प्रश्न- गाँधीजी के प्रमुख आर्थिक विचारों की विवेचना कीजिए।
  25. प्रश्न- गाँधीजी के मशीन सम्बन्धी विचारों को बताइये।
  26. प्रश्न- "नेहरूवाद मार्क्सवाद और गाँधीवाद का विवेकपूर्ण सम्मिश्रण है।" संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  27. प्रश्न- पंडित दीनदयाल उपाध्याय की आर्थिक नीति की मुख्य विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
  28. प्रश्न- पं. दीनदयाल उपाध्याय भारी उद्योगों को अमानवीय और तानाशाही प्रकृति का मानते थे। क्यों? स्पष्ट कीजिए।
  29. प्रश्न- पं. दीनदयाल उपाध्याय की विकेन्द्रीकृत अर्थव्यवस्था की अवधारणा को स्पष्ट कीजिए।
  30. प्रश्न- पं. दीनदयाल उपाध्याय के समग्र मानवतावाद के दर्शन की व्याख्या कीजिए।
  31. प्रश्न- दीन दयाल उपाध्याय की एकीकृत आर्थिक नीति की व्याख्या कीजिए।
  32. प्रश्न- अर्थशास्त्र में 'आवश्यकता विहीनता' की परिभाषा के जन्मदाता प्रो. जे. के. मेहता हैं। इनके आर्थिक विचार समझाइए।
  33. प्रश्न- अमर्त्य सेन के 'निर्धनता' सम्बन्धी विचार लिखिए।
  34. प्रश्न- वैश्वीकरण पर अमर्त्य सेन के विचारों का विश्लेषण कीजिए।
  35. प्रश्न- विश्व व्यापार प्रणाली के सन्दर्भ में भगवती के विचारों का विश्लेषण कीजिए।
  36. प्रश्न- व्यापार उदारीकरण पर भगवती के विचारों का वर्णन कीजिए।
  37. प्रश्न- प्लेटो के प्रमुख आर्थिक विचारों की विवेचना कीजिए।
  38. प्रश्न- प्लेटो और अरस्तू के आर्थिक विचारों की तुलना कीजिये तथा आर्थिक विचारों के इतिहास में अरस्तू का महत्व बताइये।
  39. प्रश्न- प्राचीन आर्थिक विचारधाराओं की प्रमुख विशेषताएँ कौन-कौन सी थीं?
  40. प्रश्न- प्लेटो के 'साम्यवाद' की आलोचनात्मक व्याख्या कीजिए।
  41. प्रश्न- सेण्ट थॉमस एक्विनास के आर्थिक विचारों का वर्णन कीजिए।
  42. प्रश्न- उचित कीमत (Just price) सम्बन्धी सन्त थॉमस एक्विनास के विचारों का वर्णन कीजिए।
  43. प्रश्न- सन्त थॉमस एक्विनास के श्रम विभाजन सम्बन्धी विचारों की समीक्षा कीजिए।
  44. प्रश्न- वणिकवाद के उदय के मूल कारकों पर प्रकाश डालिए।
  45. प्रश्न- 'वणिकवाद' के पतन के प्रमुख कारणों की विवेचना कीजिए।
  46. प्रश्न- उन परिस्थितियों का आलोचनात्मक विवेचन कीजिए जिन्होंने वणिकवाद को बढ़ावा दिया और जो इसके पतन का कारण बनीं।
  47. प्रश्न- वणिकवाद के सिद्धान्त एवं नीतियाँ लिखिये।
  48. प्रश्न- वाणिकवाद से क्या आशय है?
  49. प्रश्न- वणिकवादी दर्शन के मुख्य तत्त्व क्या थे?
  50. प्रश्न- वणिकवाद का आर्थिक विचारों के इतिहास में क्या महत्व है?
  51. प्रश्न- वणिकवाद के ब्याज के सिद्धांत की संक्षिप्त विवेचना कीजिए।
  52. प्रश्न- नव-वणिकवाद के उदय के कारण क्या हैं? संक्षिप्त प्रकाश डालिए।
  53. प्रश्न- पुराने वणिकवाद तथा नव-वणिकवाद में समानताएँ क्या हैं?
  54. प्रश्न- सोना चाँदी का महत्व बताइये।
  55. प्रश्न- वणिकवाद की एक राष्ट्रीय नीति के सन्दर्भ में चर्चा कीजिए।
  56. प्रश्न- वणिकवादियों के 'राज्य सम्बन्धी विचार' क्या थे? स्पष्ट कीजिए।
  57. प्रश्न- 'वणिकवाद एवं राज्य समाजवाद' पर टिप्पणी कीजिए।
  58. प्रश्न- थॉमस मून के आर्थिक विचारों का वर्णन कीजिए।
  59. प्रश्न- प्रकृतिवाद क्या है? प्रकृतिवादी वणिकवादियों का क्यों विरोध करते हैं?
  60. प्रश्न- प्रकृतिवाद और वणिकवाद के अर्थशास्त्रीय दर्शन में क्या मूलाधारीय अन्तर है? उनके समाज की आर्थिक दशाओं में प्रकृतिवादियों की देन की व्याख्या कीजिये।
  61. प्रश्न- प्रकृतिवाद के उदय के कौन-कौन से कारण उत्तरदायी थे?
  62. प्रश्न- आर्थिक तालिका अथवा धन के परिभ्रमण से क्या आशय है?
  63. प्रश्न- आर्थिक तालिका की दुर्बलताओं की संक्षिप्त विवेचना कीजिए।
  64. प्रश्न- 'प्रकृतिवादी सिद्धान्त' क्या है? स्पष्ट कीजिए।
  65. प्रश्न- समान त्याग के सिद्धान्त से क्या अभिप्राय है?
  66. प्रश्न- "सहयोगी समाजवादी" से क्या तात्पर्य है?
  67. प्रश्न- सर विलियम पैटी के आर्थिक विचारों का वर्णन करें।
  68. प्रश्न- तुर्गो (Turgot) के आर्थिक विचारों का वर्णन कीजिए।
  69. प्रश्न- लॉक के मूल्य सम्बन्धी विचारों का वर्णन कीजिए।
  70. प्रश्न- लॉक के सम्पत्ति सम्बन्धी विचारों का वर्णन कीजिए।
  71. प्रश्न- लॉक के मुद्रा सम्बन्धी विचारों का वर्णन कीजिए।
  72. प्रश्न- लॉक का विदेशी व्यापार सम्बन्धी व्यापार संतुलन के सिद्धान्त का वर्णन कीजिए।
  73. प्रश्न- "डेविड ह्यूम (David Hume) को मुद्रावाद का सूत्रधार कहा जाता है।" इस कथन की समीक्षा कीजिए।
  74. प्रश्न- एडम स्मिथ की पुस्तक 'राष्ट्रों का धन' (Wealth of Nations) का तत्कालिक आर्थिक विचारधारा पर क्या प्रभाव पड़ा?
  75. प्रश्न- एडम स्मिथ के आर्थिक विचारों के विकास में योगदानों का विवरण दीजिए तथा उनके, आर्थिक सिद्धान्तों का आलोचनात्मक मूल्यांकन कीजिए।
  76. प्रश्न- एडम स्मिथ की व्यवस्था के अन्तर्गत " श्रम विभाजन" और "बाजार के विस्तार" की भूमिका स्पष्ट कीजिए।
  77. प्रश्न- 'परम्परावाद' क्या है? स्पष्ट कीजिए।
  78. प्रश्न- आर्थिक विचारों के इतिहास में स्मिथ के स्थान को चिन्हित कीजिए।
  79. प्रश्न- अहस्तक्षेप नीति क्या है?
  80. प्रश्न- स्मिथ के सिद्धान्तों का समालोचनात्मक मूल्यांकन कीजिए।
  81. प्रश्न- स्मिथ का आशावाद क्या है?
  82. प्रश्न- एडम स्मिथ के पूँजी संचय सम्बन्धी विचारों का वर्णन कीजिए।
  83. प्रश्न- वितरण सम्बन्धी एडम स्मिथ के विचारों का विश्लेषण कीजिए।
  84. प्रश्न- एडम स्मिथ के व्यापार सम्बन्धी विचारों को स्पष्ट कीजिए।
  85. प्रश्न- एडम स्मिथ के आशावाद पर संक्षिप्त लेख लिखिए।
  86. प्रश्न- स्मिथ के प्रकृतिवाद पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  87. प्रश्न- "रिकार्डों का मुख्य योगदान मूल्य सिद्धान्त तथा वितरण सिद्धान्त के क्षेत्र में है। " व्याख्या कीजिए।
  88. प्रश्न- रिकार्डो के अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार के सिद्धान्त की आलोचनात्मक विवेचना कीजिए।
  89. प्रश्न- उन परिस्थितियों का वर्णन कीजिये जिनसे प्रकृतिवाद का जन्म हुआ। प्रकृतिवाद का आर्थिक विचारों में क्या योगदान है?
  90. प्रश्न- रिकार्डों के अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार के सिद्धान्त की चर्चा कीजिए।
  91. प्रश्न- डेविड रिकार्डों के 'मजदूरी सिद्धान्त' पर टिप्पणी कीजिए।
  92. प्रश्न- रिकार्डों का तुलनात्मक लागत सिद्धान्त बताइए।
  93. प्रश्न- रिकार्डों की प्रसिद्ध पुस्तक 'The Principles of Political Economy and Taxation' पर टिप्पणी लिखिए।
  94. प्रश्न- रिकार्डो के लगान सिद्धान्त की आलोचना कीजिए।
  95. प्रश्न- माल्थस के 'जनसंख्या सिद्धान्त' की व्याख्या कीजिए तथा इसकी आलोचनाओं को बताइए।
  96. प्रश्न- नव-माल्थसवाद क्या है? इसके प्रमुख आर्थिक विचारों की विस्तृत विवेचना कीजिए।
  97. प्रश्न- अति उत्पादन तथा लगान पर माल्थस के विचारों की संक्षिप्त व्याख्या कीजिए।
  98. प्रश्न- माल्थस के 'लगान' सम्बन्धी विचार को स्पष्ट कीजिए।
  99. प्रश्न- माल्थस के 'प्रभावी माँग के सिद्धान्त' का विश्लेषण कीजिए।
  100. प्रश्न- माल्थस और रिकार्डो को निराशावादी क्यों कहा जाता है? स्पष्ट कीजिए।
  101. प्रश्न- माल्थस के विचारों को प्रभावित करने वाले प्रमुख कारक क्या थे? विवेचन कीजिए।
  102. प्रश्न- 'मार्क्स अन्तर्राष्ट्रीय समाजवाद के पिता के रूप में था।' स्पष्ट कीजिए।
  103. प्रश्न- कार्ल मार्क्स के 'द्वन्द्वात्मक भौतिकवाद' को स्पष्ट कीजिए।
  104. प्रश्न- मार्क्स के 'अतिरेक मूल्य सिद्धान्त' की व्याख्या कीजिए तथा इसकी प्रमुख आलोचनाओं को स्पष्ट कीजिए।
  105. प्रश्न- मार्क्स के आर्थिक विघटन सम्बन्धी विचार की व्याख्या कीजिए।
  106. प्रश्न- "मार्क्सवाद परम्परावाद के तने पर उगी हुई शाखा मात्र है।" उक्त कथन की व्याख्या कीजिए।
  107. प्रश्न- क्या कार्ल मार्क्स को प्रतिष्ठित सम्प्रदाय का अर्थशास्त्री माना जा सकता है? विस्तार से समझाइए।
  108. प्रश्न- सहयोगी समाजवाद, राज्य समाजवाद और वैज्ञानिक समाजवाद की तुलना कीजिए और उनका अन्तर भी स्पष्ट कीजिए।
  109. प्रश्न- कार्ल मार्क्स द्वारा प्रतिपादित आधुनिक समाजवाद के मुख्य सिद्धान्तों की व्याख्या कीजिए।
  110. प्रश्न- सिसमाण्डी के आर्थिक विचारों का वर्णन कीजिए।
  111. प्रश्न- "सिसमाण्डी समाजवादी विचारक था। " सिद्ध कीजिए।
  112. प्रश्न- मार्क्सवाद की विचारधारा के मूल तत्त्व कौन-कौन से थे?
  113. प्रश्न- मार्क्सवाद की प्रमुख विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।
  114. प्रश्न- वर्ग संघर्ष पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिये।
  115. प्रश्न- जे. एस. मिल के प्रमुख आर्थिक विचारों का उल्लेख कीजिए।
  116. प्रश्न- जे. एस. मिल के आर्थिक विचारों पर प्रभाव डालने वाले मुख्य घटकों की विवेचना कीजिए।
  117. प्रश्न- जे आर. हिक्स के विचारों की आलोचनात्मक व्याख्या कीजिए।
  118. प्रश्न- "मिल के द्वारा परम्परावादी अर्थशास्त्र पूर्ण रूप से विकसित किया गया और उसी के साथ उसका पतन प्रारम्भ हुआ।" इस कथन की व्याख्या कीजिए।
  119. प्रश्न- जे. एस. मिल परम्परावादी सिद्धान्तों के किन-किन नियमों से सहमत तथा किन-किन नियमों से असहमत था? स्पष्ट कीजिए।
  120. प्रश्न- जे. एस. मिल के स्वहित सिद्धान्त की संक्षिप्त विवेचना कीजिए।
  121. प्रश्न- जे. एस. मिल के स्वतन्त्रता प्रतियोगिता के सिद्धान्त की विवेचना कीजिए।
  122. प्रश्न- जे. एस. मिल के जनसंख्या सिद्धांत की संक्षिप्त विवेचना कीजिए।
  123. प्रश्न- मिल के समाजवादी विचारों की आलोचना कीजिए।
  124. प्रश्न- 'जे. एस. मिल समाजवादी था'। इस कथन के पक्ष में तर्क दीजिए।
  125. प्रश्न- जे. एस. मिल के आर्थिक विचारों का मूल्यांकन कीजिए।
  126. प्रश्न- जे. बी. से के आर्थिक विचारों का वर्णन कीजिए।
  127. प्रश्न- जे. एस. मिल के मजदूरी सिद्धान्त का वर्णन कीजिए।
  128. प्रश्न- मिल के अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार सिद्धान्त का वर्णन कीजिए।
  129. प्रश्न- 'मूल्य व वितरण' के क्षेत्र में मार्शल के योगदान का वर्णन कीजिए।
  130. प्रश्न- स्पष्ट व्याख्या कीजिए कि नव-परम्परावाद क्या है? इस सन्दर्भ में मार्शल के आर्थिक सिद्धान्त के क्षेत्र में योगदान का विश्लेषण कीजिए।
  131. प्रश्न- नव परम्परावाद क्या है? परम्परावादी एवं नव परम्परावादी विचारों में अन्तर बताइये।
  132. प्रश्न- प्रकृतिवाद को जन्म देने वाली शक्तियों की व्याख्या कीजिए तथा आर्थिक विचारधारा में उसका मुख्य योगदान बताइये।
  133. प्रश्न- मार्शल के निरंतरता सिद्धांत पर संक्षिप्त प्रकाश डालिए।
  134. प्रश्न- मार्शल के आभास लगान के संबंध में विचारों की विवेचना कीजिए।
  135. प्रश्न- प्रतिनिधि फर्म के विषय में मार्शल के विचारों पर प्रकाश डालिए।
  136. प्रश्न- मार्शल ने अल्पकालीन व दीर्घकालीन विवाद के हल को कैसे सुलझाया?
  137. प्रश्न- परम्परावादी तथा नवपरम्परावादी विचारों में अन्तर कीजिए।
  138. प्रश्न- मार्शल के उपयोगितावाद पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिये।
  139. प्रश्न- शुद्ध उत्पत्ति का सिद्धान्त बताइए।
  140. प्रश्न- राबिन्स के विचारों का संक्षेप में वर्णन कीजिए।
  141. प्रश्न- पीगू के आर्थिक कल्याण सम्बन्धी विचारों का विश्लेषण कीजिए।
  142. प्रश्न- पीगू ने अर्थशास्त्र का क्षेत्र निर्धारण किस प्रकार किया है?
  143. प्रश्न- पीगू के रोजगार सम्बन्धी विचार का वर्णन कीजिए।
  144. प्रश्न- पीगू के समाजवादी विचारों का वर्णन कीजिए।
  145. प्रश्न- शुम्पीटर के आर्थिक विचारों का वर्णन कीजिए।
  146. प्रश्न- सीमान्तवाद क्या है? सीमान्तवादियों का अर्थशास्त्र में क्या योगदान रहा है?
  147. प्रश्न- क्रूनो के आर्थिक विचारों का वर्णन कीजिए।
  148. प्रश्न- मूल्य निर्धारण के सम्बन्ध में क्रूनो के विचारों का विश्लेषण कीजिए।
  149. प्रश्न- गोसेन के आर्थिक विचारों पर प्रकाश डालिए।
  150. प्रश्न- जेवन्स के मूल्य सिद्धान्त का वर्णन कीजिए।
  151. प्रश्न- प्रो. एल. वालरा (वालरस) के बाजार सन्तुलन सिद्धान्त की विवेचना कीजिए।
  152. प्रश्न- सिसमण्डी के आर्थिक विचारों की आलोचनात्मक व्याख्या कीजिये।
  153. प्रश्न- सीमान्तवादी क्रान्ति की व्याख्या कीजिए तथा इस सम्बन्ध में मेंजर के विचारों की विवेचना कीजिए।
  154. प्रश्न- जेवन्स के प्रमुख आर्थिक विचारों की विवेचना कीजिए।
  155. प्रश्न- कार्ल मेंजर के द्रव्य सम्बन्धी विचारों को संक्षेप में लिखिए।
  156. प्रश्न- विकस्टीड के आर्थिक विचारों का वर्णन कीजिए।
  157. प्रश्न- वालरस के उपयोगिता सम्बन्धी विचार का वर्णन कीजिए।
  158. प्रश्न- वालरस के साम्य सम्बन्धी विचारों का वर्णन कीजिए।
  159. प्रश्न- कार्ल मेंजर के आर्थिक विचारों पर प्रकाश डालिए
  160. प्रश्न- कार्ल मेंजर के विनिमय सम्बन्धी विचारों का वर्णन कीजिए।
  161. प्रश्न- कार्ल मेंजर के अनुसार वस्तुओं के वर्गीकरण का विश्लेषण कीजिए।
  162. प्रश्न- कार्ल मेंजर के मुद्रा सम्बन्धी विचारों का विश्लेषण कीजिए।
  163. प्रश्न- जेवेन्स के मूल्य सिद्धान्त का विश्लेषण कीजिए।
  164. प्रश्न- जेवेन्स के आर्थिक विचारों का विश्लेषण कीजिए।
  165. प्रश्न- यूजिन वॉन बाम बावर्क के आर्थिक विचारों का वर्णन कीजिए।
  166. प्रश्न- बाम बावर्क के मूल्य सिद्धान्त का वर्णन कीजिए।
  167. प्रश्न- नटविकसेल के आर्थिक विचारों का वर्णन कीजिए।
  168. प्रश्न- इविंग फिशर के प्रमुख आर्थिक विचारों का वर्णन कीजिए।
  169. प्रश्न- "मुद्रा प्रसार व संकुचन दोनों हानिकारक हैं।" इविंग फिशर के इस विचार का विश्लेषण कीजिए।
  170. प्रश्न- फिशर के मुद्रा के परिमाण सिद्धान्त का वर्णन कीजिए।

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